Smart Meter In Dehradun : “देहरादून में स्मार्ट मीटर की शुरुआत | बिजली बिलिंग में बड़ा बदलाव!”

 

Smart Meter In Dehradun : दून में आखिरकार स्मार्ट विद्युत मीटर (Smart Meter In Dehradun) लगाने की योजना धरातल पर उतरने लगी है, और मीटर लगाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। यह योजना केंद्र सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत लागू की जा रही है, जिससे उत्तराखंड में बिजली के क्षेत्र में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

इस योजना के तहत प्रदेश के 15.84 लाख घर-प्रतिष्ठानों में स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की गई है, जिसमें देहरादून के तीन लाख से अधिक घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। स्मार्ट मीटर लगाने के बाद विद्युत उपभोग और बिलिंग के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

Smart Meter In Dehradun

बिजली के क्षेत्र में हो रहे बदलाव

उत्तराखंड के ऊर्जा निगम ने दून में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को बिजली खर्च पर बेहतर नियंत्रण, बिजली चोरी में कमी और विद्युत आपूर्ति में सुधार करना है। साथ ही, स्मार्ट मीटर लगाने से बिल और संग्रह दक्षता में सुधार की भी उम्मीद जताई जा रही है।

इसके अलावा, इस योजना के तहत प्रदेश में 5912 वितरण परिवर्तक और 2602 पोषकों पर भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जिससे ऊर्जा अकाउंटिंग को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। ऊर्जा निगम ने टेंडर अवार्ड करने के बाद मीटर की खरीद की स्वीकृति दे दी है, और विभागीय समिति द्वारा बिजनेस प्रोसेस डाक्यूमेंट तैयार करने के बाद अनुबंधित कंपनी ने दून में सर्वे भी कर लिया है।

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स्मार्ट मीटर के फायदे

सटीक बिलिंग: स्मार्ट मीटर बिजली की खपत को सटीक रूप से रिकॉर्ड करते हैं, जिससे गलत बिलिंग की संभावना कम हो जाती है।

वास्तविक समय की जानकारी: उपभोक्ताओं को उनकी बिजली खपत की वास्तविक समय की जानकारी मिलती है, जिससे वे अपनी खपत को नियंत्रित कर सकते हैं और ऊर्जा की बचत कर सकते हैं।

स्वचालित मीटर रीडिंग: मीटर रीडिंग के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं रहती, जिससे बिलिंग प्रक्रिया तेज और सुचारू होती है।

बेहतर नेटवर्क प्रबंधन: बिजली कंपनियों को नेटवर्क की स्थिति की जानकारी मिलती है, जिससे वे बिजली कटौती को कम कर सकते हैं।

नई सेवाओं का लाभ: स्मार्ट मीटर से समय-आधारित मूल्य निर्धारण और मांग-आधारित ऊर्जा आपूर्ति जैसी नई सेवाओं का लाभ मिल सकता है।

स्मार्ट मीटर के नुकसान

उच्च लागत: स्मार्ट मीटर की स्थापना और रखरखाव की लागत अधिक होती है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।

तकनीकी समस्याएँ: कई मामलों में स्मार्ट मीटर में तकनीकी खामियाँ देखी गई हैं, जिससे बिलिंग संबंधी त्रुटियाँ और नेटवर्क समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

बिजली कटौती पर निर्भरता: स्मार्ट मीटर के सही ढंग से कार्य करने के लिए स्थिर बिजली आपूर्ति आवश्यक है। किसी तकनीकी खराबी या बिजली कटौती की स्थिति में यह प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर सकते।

राजनीतिक मतभेद और विरोध

स्मार्ट बिजली मीटर पर राजनीतिक करंट इतना बढ़ गया है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ चुकी है। किच्छा के कांग्रेस विधायक ने स्मार्ट मीटर तोड़कर अपने विरोध इजहार किया तो कांग्रेस के कई नेता उनके समर्थन में उतर आए।

जवाब में बुधवार को भाजपा ने भी कांग्रेस पर पलटवार कर दिया। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस स्मार्ट मीटर विरोधी रवैया बिजली चोरी रोकने में बाधक बन रहा है। जबकि हिमाचल सहित कांग्रेस शासित राज्यों में भी स्मार्ट बिजली मीटर लगे हैं।

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उर्जा विभाग ने क्या कहा?

ऊर्जा विभाग का कहना है कि यह पूरी तरह से एक पारदर्शी प्रणाली है और इससे बिजली बिल में किसी प्रकार की मनमानी नहीं होगी. उपभोक्ताओं को अपने मोबाइल ऐप के जरिए पूरी जानकारी मिलती रहेगी कि कितनी बिजली खर्च हुई और कितना बैलेंस बचा है.

हालांकि, पर्वतीय क्षेत्रों में फिलहाल यह मीटर केवल नगर मुख्यालयों तक ही सीमित रहेंगे. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पहाड़ी इलाकों में अभी बिजली सप्लाई की स्थिति में सुधार की जरूरत है. जनता की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं स्मार्ट मीटर से उनकी बिजली पर अनावश्यक शुल्क न लगाया जाए. कई उपभोक्ताओं का आरोप है कि इन मीटरों में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे बिना उपयोग किए भी बिल बढ़ सकता है.

सरकार का पक्ष

वहीं, सरकार और बिजली विभाग का कहना है कि स्मार्ट मीटर बिजली वितरण प्रणाली को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएँ मिलेंगी। उनका दावा है कि यह कदम ऊर्जा बचत और बिजली चोरी को रोकने में सहायक होगा।