कल शनिवार 28 जनवरी को मां धारी देवी की प्रतिमा नए मंदिर में विराजमान की जाएगी। इसके लिए अभी से मंदिर में शतचंडी यज्ञ का आयोजन पूर्ण विधि-विधान से किया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड के चार धाम की रक्षक हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जब केदारनाथ की आपदा आई थी तो उस वक्त मां धारी देवी की मूर्ति को मंदिर से 16 जून 2013 को हटाया गया था। हालांकि इसको की लोग अंधविश्वास भी मानते हैं।
श्रीनगर जल विद्युत परियोजना बनने के कारण मंदिर को पौराणिक स्वरूप से हटाकर परियोजना के बनने से नदी की झील में बीच में पिल्लरों में मंदिर बनाया गया है। जिससे वर्ष 2013 में जून माह से अस्थाई मंदिर में स्थापित किया गया था। पांच सालों से मूर्ति की पूजा-अर्चना अस्थाई मंदिर में ही होती है। मां धारी देवी की प्रतिमा के बारे में बात की जाए तो ये दिन में तीन बार रूप बदलती हैं। सुबह ये कन्या, दोपहर को औरत और रात को बुढ़िया के रूप में नजर आती हैं। चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के कलियासौड़ स्थित सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर दक्षिण काली के रूप में जानी जाती है। कलियासौड़ गांव के समीप स्थापित सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर अलकनंदा नदी के बीचों-बीच स्थित है।